कब और कहां हुआ था भगवान परशुराम का जन्म

जनक, दशरथ आदि राजाओं का उन्होंने समुचित सम्मान किया। सीता स्वयंवर में श्रीराम का अभिनंदन किया।
कोंकण प्रदेश का राजा जमदग्नि की विद्वता पर इतना मोहित हुआ कि उसने अपनी पुत्री रेणुका का विवाह इनसे कर दिया। इन्ही रेणुका के पांचवें गर्भ से भगवान परशुराम का जन्म हुआ। जमदग्नि ने गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने के बाद धर्म प्रचार का कार्य बंद कर दिया और राजा गाधि की स्वीकृति लेकर इन्होंने अपना जमदग्नि आश्रम स्थापित किया और अपनी पत्नी रेणुका के साथ वहीं रहने लगे। राजा गाधि ने वर्तमान जलालाबाद के निकट की भूमि जमदग्नि के आश्रम के लिए चुनी थी। जमदग्नि ने आश्रम के निकट ही रेणुका के लिए कुटी बनवाई थी आज उस कुटी के स्थान पर एक अति प्राचीन मंदिर बना हुआ है जो आज ‘ढकियाइन देवी’ के नाम से सुप्रसिद्ध है।
